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बारिश.व्यंग्य ये बारिश है या दरिया

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बारिश.व्यंग्य ये बारिश है या दरिया

कागारौल/आगरा । ये बारिश है या दरिया, या झरना कोई चमत्कारी,

की है मुरलीवाले की कैसी ये कलाकारी? है खुला छोड़ा ऊपरवाले ने कोई फव्वारा जैसे,सूरज चाचा के दर्शन करूं मैं कैसे? क्या छुट्टी लेने की फिराक में है मानसून अगले साल या सता रहा बेवजह ही वह धरती वालों को इस साल…लग रहा सब पानी-पानी,सड़कों पे पानी, घरों में पानी, खेतों में पानी हो रहा हर कोना पानी,दिल से आवाज़ आई, पकोड़े तलूं पर बेसन लाने मैं घर से कैसे निकलूं ताई-चाची से किया बेसन का इंतजाम सोचा अब तो बन ही जाएगा काम पर जैसे ही रसोई में पहुंची, तो देखा खिड़की से आया पानी गैस चूल्हे पे पानी, स्लिप पे पानी, कढ़ाई पल्टा में पानी फिर क्या, पकोड़ों के आइडिया पे फिरा पानी…ज़िंदगी पानी पानी…कुमारी वर्षा मंडी मिर्जा खां फतेहपुर सीकरी, आगरा

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