Cybar Express

Newsportal

श्यामों के तालाब की जलकुंभी पहुंची सड़क के पार,यहीं हुआ था दाराशिकोह और औरंगजेब के मध्य युद्ध,सफाई व बेरिकेटिंग कर पर्यटक स्थल बनाने की मांग

1 min read

श्यामों के तालाब की जलकुंभी पहुंची सड़क के पार,यहीं हुआ था दाराशिकोह और औरंगजेब के मध्य युद्ध,सफाई व बेरिकेटिंग कर पर्यटक स्थल बनाने की मांग
====================
श्यामों(आगरा)! आगरा शमसाबाद मार्ग स्थित थाना ताजगंज के ग्राम श्यामों में7तालाब है ।सबसे बड़े तालाब जिसकी गाटा संख्या 162 तथा क्षेत्रफल .8180 हेक्टर है जिसकी खुदाई 1 जुलाई2020 को 6,95,500 रुपए की लागत से हुई थी ।लेकिन पूरी तरह से खुदाई नही हो पाई थी ।जलकुंभी की सफाई तो उस समय भी नही हो पाई थी अब जलकुंभी पूरी तरह से सड़क पर छा गई है सड़क दिखाई भी नही दे रही है ।जिससे दो पहिया,चार पहिया वाहन चालकों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है ।दूसरी ओर इस तालाब में दर्जन भर से ज्यादा लोगो की गिरकर मौत हो चुके हैं श्यामों निवासी भाव सिंह वाल्मिक पुत्र रामचरन,ईश्वर देवी पुत्री ईश्वरी प्रसाद,बनवारी लाल पुत्र टुंडाराम,हल्लन का साला,गुड़िया पुत्री सुरेश चंद,मुनमुन पुत्री दिमान सिंह,दमपंती छोटू उर्फ रामेश्वर पुत्र फतेह सिंह,नीतू पत्नी छोटू आदि आवारा तथा पालतू पशुओं की भी गिरकर मौतें हो चुकी है ।इसी तालाब के सामने सस्ते गल्ले की भी दुकान है जिससे लाभार्थियों को दुकान तक पहुंचने में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है फिर भी प्रशासन नहीं जाग रहा है।दूसरी इसी तालाब पर जिलामुख्यालय से शमसाबाद मार्ग पर ग्राम श्यामों ही वह स्थान है जहां औरंगजेब और दाराशिकोह के मध्य 28मई 1658 में श्यामोगढ़ में युद्ध हुआ था यह स्थान आगरा से नौ मील पूर्व में है फतेहाबाद का परगना था दाराशिकोह यहां से अजमेर भाग गया था ।12,13 मार्च 1959 को अजमेर के दक्षिण में तीन कोस दूर देवरा में फिर लड़ाई हुई थी । दाराशिकोह अजमेर से 13मार्च की शाम को अपने पुत्र और दरबारी फिरोज मेवाती के साथ भाग गया था इतिहास में उल्लिखित इस तथ्य को परखने की जरूरत नहीं समझी गई ।यहां प्राचीन सभ्यता के प्रमाण मिलते थे ।तलवारें,मूर्तियां,सुरंग ,भवन मिले थे।जब पानी कम था तब इसमें तालाब के चारों कौनो पर चार सीडियां है बीच एक बड़ा पत्थर है सीडियां एक ही पत्थर से बनीं है ग्रामीणों ने 11सीड्डियो को गिन लिया था अंतिम सीडियां तालाब में गड़ी हुई हैं उनकी नही पता किसी को कि कहां तक गई हैं।तालाब के आसपास चार कुएं भी हैं जिनको साफ दिखा जा सकता था ।तालाब के बीच में पक्की ईंटो की दीवार है यह काफी दूर तक गई है तालाब के किनारे रास्ता भी दीवार पर बना हुआ है जिसमें करीब 15 किलोग्राम बजनी ईंटे भी निकलीं थी 18अगस्त 2001 में पुरातत्व विभाग ने निरीक्षण किया था जिनका आकार 50×25सेमी थी मौर्यकाल की हो सकती है ये ईंटे 2200 वर्ष पुरानी हैं ये बाते तत्कालीन पुरातत्वविद श्री धर्मवीर शर्मा ने कहीं थी ।ग्रामीणों का कहना है कि इस तालाब से नौफरी के तालाब तक एक सुरंग है ।यही कारण है कि नौफरी के तालाब का पानी इस तालाब में आ जाता है ।श्यामों गांव में टीले पर वसा है गांव का जैन मंदिर टीले की चोटी पर था ।जैन मूर्ति भी थी ।एक एक जैन परिवार इस मूर्ति को अपने साथ ले गया था। ग्रामीण बताते है कि सुरंग श्याम जी के मंदिर तक गई है ।भारतीय सेना के नक्शा में आज भी इस गांव का नाम श्यामोगण दर्ज है ।समाजसेवी विजय सिंह लोधी ने जिलाधिकारी महोदय तथा पुरातत्व विभाग से इस तालाब की सफाई तथा बेरिकेटिंग कर पानी निकासी कर व उत्खनन कर वास्तु स्थिति का पता कर इस स्थल को पर्यटक स्थल बनाए जाने की मांग की है जिससे इस गांव के निवासियों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो सकें ।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *